जम्मू कश्मीर में मां वैष्णों देवी के दर्शन को आने वाले श्रद्धालुओं को लोहडी के बाद मकर संक्रांति के दिन प्राचीन गुफा से दर्शन पूरे होंगे। भक्तों को पूरे साल इस समय का इंतजार रहता है कि प्राचीन गुफा से दर्शन करे।
जय माता दी
हर साल की तरह इस साल प्राचीन गुफा का रास्ता लोहडी के बाद मकर संक्राति के दिन 14 जनवरी को खोल दिया जाएगा। मां वैष्णों देवी के भक्त इस रास्ते से मां के दर्शन कर पाएंगे।
कई भक्त जनवरी का इंतजार करते रहते है कि प्राचीन गुफा खुलेगी तब मां वैष्णों देवी के दर्शन को जाएंगे, गौरतलब है कि हर वर्ष जनवरी में ही प्राचनी गुफा का रास्ता खोला जाता है।
क्योंकि जनवरी व फरवरी में यात्रा में काफी गिरावट आती है। इसके कारण यात्रा की कमी के बाद अक्सर गुफा का खोल दिया जाता है।
भक्त विधि पूर्वक भैरो बाबा के शरीर के ऊपर से निकल कर मां के दर्शन करेंगे और उसके बाद भैरो मंदिर में भैरो बाबा के दर्शन करने के बाद यात्रा पूरी करेंगे ।
महत्वपूर्ण व ऐतिहासिक है प्राचीन गुफा
पौरोणिक कथाओं के अनुसार मां वैष्णों देवी का पीछा करते हुए भैरव बाबा जब प्राचीन गुफा के समक्ष पहुंचा तो मां वैष्णों देवी ने उसका वध किया था इस प्राचीन गुफा के प्रारंभिक द्वारा पर जहां बाबा भैरव का शरीर शीला के रूम में विराजमान है तो वही धड भैरों घाटी विराजमान है।
जब भैरव बाबा ने मां वैष्णों देवी से मुक्ति का वर मांगा तो मां वैष्णों देवी ने कहा कि जो भी श्रद्धालु इस प्राचीन गुफा से हाकर मेरे दर्शन करेगा उसके कष्ट दूर होने के साथ ही सभी मनोकानाएं पूर्ण होगी तभी इस प्राचनी गुफा का पौराणिक महत्व है और इस गुफा से हाकर जाना हर एक श्रद्धालु का एक सपना रहता है कि कम से कम उसे एक बार गुफा से जाने का मौका मिले।
जब भैरव बाबा ने मां वैष्णों देवी से मुक्ति का वर मांगा तो मां वैष्णों देवी ने कहा कि जो भी श्रद्धालु इस प्राचीन गुफा से हाकर मेरे दर्शन करेगा उसके कष्ट दूर होने के साथ ही सभी मनोकानाएं पूर्ण होगी तभी इस प्राचनी गुफा का पौराणिक महत्व है और इस गुफा से हाकर जाना हर एक श्रद्धालु का एक सपना रहता है कि कम से कम उसे एक बार गुफा से जाने का मौका मिले।
साल भर में कभी कभार ही खुलती है प्राचनी गुफा
मां वैष्णों देवी की प्राचीन गुफा अपने आप में पवित्रता का महत्व समेटे हुए है। हालांकि श्री माता वैष्णों देवी श्राइन बोर्ड के गठन से पहले यानी वर्ष 1986 से पहले इसी प्राचीन गुफा से श्रद्धालु मां क दर्शन को जाते थे पर उसे समय साल भर मे मात्र 13 से 14 लाख श्रद्धालु ही आते थे श्राइन बोर्ड के गठन के उपरांत साल दर साल मां वैष्णो देवी की यात्रा में बढोतरी होती रही और वर्तमान में 80साल 85लाख स ऊपर श्रद्धालु मां वैष्णों देवी के दर्शनों को भवन पहुंचते है। यानी प्रतिदिन करीब 25000 श्रद्धालु मां के दरबार आते है।
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